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HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु.. लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.

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  HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR  अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये. 🙏 श्री हरमिन्दर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) अमृतसर में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी  के अंग 489 दिनांक 23-08-2024  को  प्रात: जारी गुरुबाणी, अमृतवचन/हुकमनामा : पंजाबी, हिन्दी व अंग्रेजी में अर्थ सहित पढ़िए.... 🙏🙏 Amrit Vele da Hukamnama Sri Darbar Sahib, Amritsar Ang 489, Date 23-08-2024 🙏 ਗੂਜਰੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥ ਨਾਭਿ ਕਮਲ ਤੇ ਬ੍ਰਹਮਾ ਉਪਜੇ ਬੇਦ ਪੜਹਿ ਮੁਖਿ ਕੰਠਿ ਸਵਾਰਿ ॥ ਤਾ ਕੋ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਈ ਲਖਣਾ ਆਵਤ ਜਾਤ ਰਹੈ ਗੁਬਾਰਿ ॥੧॥ ਪ੍ਰੀਤਮ ਕਿਉ ਬਿਸਰਹਿ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਾਣ ਅਧਾਰ ॥ ਜਾ ਕੀ ਭਗਤਿ ਕਰਹਿ ਜਨ ਪੂਰੇ ਮੁਨਿ ਜਨ ਸੇਵਹਿ ਗੁਰ ਵੀਚਾਰਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ ਰਵਿ ਸਸਿ ਦੀਪਕ ਜਾ ਕੇ ਤ੍ਰਿਭਵਣਿ ਏਕਾ ਜੋਤਿ ਮੁਰਾਰਿ ॥ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹੋਇ ਸੁ ਅਹਿਨਿਸਿ ਨਿਰਮਲੁ ਮਨਮੁਖਿ ਰੈਣਿ ਅੰਧਾਰਿ ॥੨॥ 🙏 गूजरी महला १ ॥ नाभि कमल ते ब्रहमा उपजे बेद पड़हि मुखि कंठि सवारि ॥ ता को अंतु न जाई लखणा आवत जात रहै गुबारि ॥१॥ प्रीतम किउ बिसरहि मेरे प्राण अधार ॥ जा की भगति करहि जन पूरे मुनि जन सेवहि गुर वीचारि ॥१॥ रहाउ ॥ रवि ससि दीपक जा के त्रिभवणि एका जोति मुरारि ॥ गुरमुखि होइ सु अहिनिसि निरमलु म

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HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR  अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये. 🙏  श्री हरमिन्दर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) अमृतसर में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी  के अंग 648 दिनांक 20-08-2024  को  प्रात: जारी गुरुबाणी, अमृतवचन/हुकमनामा : पंजाबी, हिन्दी व अंग्रेजी में अर्थ सहित पढ़िए.... 🙏🙏 Amrit wele da Hukamnama Sri Darbar Sahib, Sri Amritsar, Ang 648, Date 20-08-24 🙏 ਸਲੋਕੁ ਮ: ੩ ॥ ਨਾਨਕ ਨਾਵਹੁ ਘੁਥਿਆ ਹਲਤੁ ਪਲਤੁ ਸਭੁ ਜਾਇ ॥ ਜਪੁ ਤਪੁ ਸੰਜਮੁ ਸਭੁ ਹਿਰਿ ਲਇਆ ਮੁਠੀ ਦੂਜੈ ਭਾਇ ॥ ਜਮ ਦਰਿ ਬਧੇ ਮਾਰੀਅਹਿ ਬਹੁਤੀ ਮਿਲੈ ਸਜਾਇ ॥੧॥ ਮ: ੩ ॥ ਸੰਤਾ ਨਾਲਿ ਵੈਰੁ ਕਮਾਵਦੇ ਦੁਸਟਾ ਨਾਲਿ ਮੋਹੁ ਪਿਆਰੁ ॥ ਅਗੈ ਪਿਛੈ ਸੁਖੁ ਨਹੀ ਮਰਿ ਜੰਮਹਿ ਵਾਰੋ ਵਾਰ ॥ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਕਦੇ ਨ ਬੁਝਈ ਦੁਬਿਧਾ ਹੋਇ ਖੁਆਰੁ ॥ ਮੁਹ ਕਾਲੇ ਤਿਨਾ ਨਿੰਦਕਾ ਤਿਤੁ ਸਚੈ ਦਰਬਾਰਿ ॥ ਨਾਨਕ ਨਾਮ ਵਿਹੂਣਿਆ ਨਾ ਉਰਵਾਰਿ ਨ ਪਾਰਿ ॥੨॥ 🙏 सलोकु मः ३ ॥ नानक नावहु घुथिआ हलतु पलतु सभु जाइ ॥ जपु तपु संजमु सभु हिरि लइआ मुठी दूजै भाइ ॥ जम दरि बधे मारीअहि बहुती मिलै सजाइ ॥१॥ मः ३ ॥ संता नालि वैरु कमावदे दुसटा नालि मोहु पिआरु ॥ अगै पिछै सुखु नही मरि जमहि वारो वार ॥ त्रिसना कदे न बुझई दुबिधा होइ