LABANA JAGRATI SANDESH AMRIT VELE DA HUKAMNAMA SRI DARBAR SAHIB AMRITSAR Ang 706, 07-11-2024

 LABANA JAGRATI SANDESH


 AMRIT VELE DA

 HUKAMNAMA 

SRI DARBAR SAHIB

 AMRITSAR 



Ang 706, 07-11-2024

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ਸਲੋਕ ॥ ਮਨ ਇਛਾ ਦਾਨ ਕਰਣੰ ਸਰਬਤ੍ਰ ਆਸਾ ਪੂਰਨਹ ॥ ਖੰਡਣੰ ਕਲਿ ਕਲੇਸਹ ਪ੍ਰਭ ਸਿਮਰਿ ਨਾਨਕ ਨਹ ਦੂਰਣਹ ॥੧॥ ਹਭਿ ਰੰਗ ਮਾਣਹਿ ਜਿਸੁ ਸੰਗਿ ਤੈ ਸਿਉ ਲਾਈਐ ਨੇਹੁ ॥ ਸੋ ਸਹੁ ਬਿੰਦ ਨ ਵਿਸਰਉ ਨਾਨਕ ਜਿਨਿ ਸੁੰਦਰੁ ਰਚਿਆ ਦੇਹੁ ॥੨॥ ਪਉੜੀ ॥ ਜੀਉ ਪ੍ਰਾਨ ਤਨੁ ਧਨੁ ਦੀਆ ਦੀਨੇ ਰਸ ਭੋਗ ॥ ਗ੍ਰਿਹ ਮੰਦਰ ਰਥ ਅਸੁ ਦੀਏ ਰਚਿ ਭਲੇ ਸੰਜੋਗ ॥ ਸੁਤ ਬਨਿਤਾ ਸਾਜਨ ਸੇਵਕ ਦੀਏ ਪ੍ਰਭ ਦੇਵਨ ਜੋਗ ॥ ਹਰਿ ਸਿਮਰਤ ਤਨੁ ਮਨੁ ਹਰਿਆ ਲਹਿ ਜਾਹਿ ਵਿਜੋਗ ॥ ਸਾਧਸੰਗਿ ਹਰਿ ਗੁਣ ਰਮਹੁ ਬਿਨਸੇ ਸਭਿ ਰੋਗ ॥੩॥



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ਅਰਥ: 
ਹੇ ਨਾਨਕ ਜੀ! ਜੋ ਪ੍ਰਭੂ ਅਸਾਨੂੰ ਮਨ-ਮੰਨੀਆਂ ਦਾਤਾਂ ਦੇਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸਭ ਥਾਂ (ਸਭ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ) ਆਸਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਅਸਾਡੇ ਝਗੜੇ ਤੇ ਕਲੇਸ਼ ਨਾਸ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਹੈ ਉਸ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰ, ਉਹ ਤੈਥੋਂ ਦੂਰ ਨਹੀਂ ਹੈ ॥੧॥ ਜਿਸ ਪ੍ਰਭੂ ਦੀ ਬਰਕਤਿ ਨਾਲ ਤੂੰ ਸਾਰੀਆਂ ਮੌਜਾਂ ਮਾਣਦਾ ਹੈਂ, ਉਸ ਨਾਲ ਪ੍ਰੀਤ ਜੋੜ। ਜਿਸ ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਤੇਰਾ ਸੋਹਣਾ ਸਰੀਰ ਬਣਾਇਆ ਹੈ, ਹੇ ਨਾਨਕ ਜੀ! ਰੱਬ ਕਰ ਕੇ ਉਹ ਤੈਨੂੰ ਕਦੇ ਭੀ ਨਾਹ ਭੁੱਲੇ ॥੨॥ (ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਤੈਨੂੰ) ਜਿੰਦ ਪ੍ਰਾਣ ਸਰੀਰ ਤੇ ਧਨ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਸੁਆਦਲੇ ਪਦਾਰਥ ਭੋਗਣ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ। ਤੇਰੇ ਚੰਗੇ ਭਾਗ ਬਣਾ ਕੇ, ਤੈਨੂੰ ਉਸ ਨੇ ਘਰ ਸੋਹਣੇ ਮਕਾਨ, ਰਥ ਤੇ ਘੋੜੇ ਦਿੱਤੇ। ਸਭ ਕੁਝ ਦੇਣ-ਜੋਗੇ ਪ੍ਰਭੂ ਨੇ ਤੈਨੂੰ ਪੁੱਤਰ, ਵਹੁਟੀ ਮਿੱਤ੍ਰ ਤੇ ਨੌਕਰ ਦਿੱਤੇ। ਉਸ ਪ੍ਰਭੂ ਨੂੰ ਸਿਮਰਿਆਂ ਮਨ ਤਨ ਖਿੜਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਸਾਰੇ ਦੁੱਖ ਮਿਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। (ਹੇ ਭਾਈ!) ਸਤਸੰਗ ਵਿਚ ਉਸ ਹਰੀ ਦੇ ਗੁਣ ਚੇਤੇ ਕਰਿਆ ਕਰੋ, ਸਾਰੇ ਰੋਗ (ਉਸ ਨੂੰ ਸਿਮਰਿਆਂ) ਨਾਸ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ॥੩॥



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सलोक ॥ मन इछा दान करणं सरबत्र आसा पूरनह ॥ खंडणं कलि कलेसह प्रभ सिमरि नानक नह दूरणह ॥१॥ हभि रंग माणहि जिसु संगि तै सिउ लाईऐ नेहु ॥ सो सहु बिंद न विसरउ नानक जिनि सुंदरु रचिआ देहु ॥२॥ पउड़ी ॥ जीउ प्रान तनु धनु दीआ दीने रस भोग ॥ ग्रिह मंदर रथ असु दीए रचि भले संजोग ॥ सुत बनिता साजन सेवक दीए प्रभ देवन जोग ॥ हरि सिमरत तनु मनु हरिआ लहि जाहि विजोग ॥ साधसंगि हरि गुण रमहु बिनसे सभि रोग ॥३॥



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अर्थ: 
हे नानक जी! जो प्रभू हमें मन-इच्छत दातां देता है जो सब जगह (सब जीवों की) उम्मीदें पूरी करता है, जो हमारे झगड़े और कलेश नाश करने वाला है उस को याद कर, वह तेरे से दूर नहीं है ॥१॥ जिस प्रभू की बरकत से तुम सभी आनंद मानते हो, उस से प्रीत जोड़। जिस प्रभू ने तुम्हारा सुंदर शरीर बनाया है, हे नानक जी! रब कर के वह तुझे कभी भी न भूले ॥२॥ (प्रभू ने तुझे) जिंद प्राण शरीर और धन दिया और स्वादिष्ट पदार्थ भोगणें को दिए। तेरे अच्छे भाग बना कर, तुझे उस ने सुंदर घर, रथ और घोडे दिए। सब कुछ देने-वाले प्रभू ने तुझे पुत्र, पत्नी मित्र और नौकर दिए। उस प्रभू को सिमरनें से मन तन खिड़िया रहता है, सभी दुख खत्म हो जाते हैं। (हे भाई!) सत्संग में उस हरी के गुण चेते किया करो, सभी रोग (उस को सिमरनें से) नाश हो जाते हैं ॥३॥



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Salok || Man Ishhaa Daan Karnang Sarbatar Aasaa Poorneh || Khanddanang Kal Kaleseh Prabh Simar Naanak Neh Doorneh ||1|| Habh Rang Maaneh Jis Sang Tai Siu Laaeeai Nehu || So Sahu Bind N Visrau Naanak Jin Sundar Racheaa Dehu ||2|| Paurree || Jeeu Praan Tan Dhhan Deeaa Deene Ras Bhog || Greh Mandar Rathh As Dee_ey Rach Bhale Sanjog || Sut Banitaa Saajan Sevak Dee_ey Prabh Devan Jog || Har Simrat Tan Man Hareaa Leh Jaahe Vijog || Saadhhsang Har Gun Ramhu Binse Sabh Rog ||3||




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Meaning: 

He grants our hearts’ desires, and fulfills all our hopes. He destroys pain and suffering; remember God in meditation, O Nanak Ji – He is not far away. ||1|| 

Love Him, with whom you enjoy all pleasures. Do not forget that Lord, even for an instant; O Nanak Ji, He fashioned this beautiful body. ||2|| Pauree: 

He gave you your soul, breath of life, body and wealth; He gave you pleasures to enjoy. 

He gave you households, mansions, chariots and horses; He ordained your good destiny. He gave you your children, spouse, friends and servants; God is the all-powerful Great Giver. 

Meditating in remembrance on the Lord, the body and mind are rejuvenated, and sorrow departs. 

In the Saadh Sangat, the Company of the Holy, chant the Praises of the Lord, and all your sickness shall vanish. ||3||
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सन्त बाबा सीतलसिंह जी (महू वालों)  एवं सन्त बाबा हिम्मत सिंह साहिब दरबार के वर्तमान महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी की कृपा आर्शीवाद  सदके यह सेवा दास कर पा रहा है
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गद्दीनशीन महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह साहिब जी  

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महन्त सन्त सुखदेव सिंह जी 

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