HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.

 HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR 



अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.


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श्री हरमिन्दर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) अमृतसर में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी  के अंग 561 दिनांक 03-09-2024  को  प्रात: जारी गुरुबाणी, अमृतवचन/हुकमनामा : पंजाबी, हिन्दी व अंग्रेजी में अर्थ सहित पढ़िए....

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AMRIT VELE DA HUKAMNAMA SRI DARBAR SAHIB AMRITSAR, 


ANG 561,  Date 03-09-2024



ਵਡਹੰਸੁ ਮਹਲਾ ੪ ਘਰੁ ੨ ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥ ਮੈ ਮਨਿ ਵਡੀ ਆਸ ਹਰੇ ਕਿਉ ਕਰਿ ਹਰਿ ਦਰਸਨੁ ਪਾਵਾ ॥ ਹਉ ਜਾਇ ਪੁਛਾ ਅਪਨੇ ਸਤਗੁਰੈ ਗੁਰ ਪੁਛਿ ਮਨੁ ਮੁਗਧੁ ਸਮਝਾਵਾ ॥ ਭੂਲਾ ਮਨੁ ਸਮਝੈ ਗੁਰ ਸਬਦੀ ਹਰਿ ਹਰਿ ਸਦਾ ਧਿਆਏ ॥ ਨਾਨਕ ਜਿਸੁ ਨਦਰਿ ਕਰੇ ਮੇਰਾ ਪਿਆਰਾ ਸੋ ਹਰਿ ਚਰਣੀ ਚਿਤੁ ਲਾਏ ॥੧॥



डहंसु महला ४ घरु २ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मै मनि वडी आस हरे किउ करि हरि दरसनु पावा ॥ हउ जाइ पुछा अपने सतगुरै गुर पुछि मनु मुगधु समझावा ॥ भूला मनु समझै गुर सबदी हरि हरि सदा धिआए ॥ नानक जिसु नदरि करे मेरा पिआरा सो हरि चरणी चितु लाए ॥१॥

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Meaning:
Wadahans, Fourth Mehl, Second House: One Universal Creator God. 

By The Grace Of The True Guru: Within my mind there is such a great yearning; how will I attain the Blessed Vision of the Lord’s Darshan? 

I go and ask my True Guru; with the Guru’s advice, I shall teach my foolish mind. 

The foolish mind is instructed in the Word of the Guru’s Shabad, and meditates forever on the Lord, Har, Har. 

O Nanak, one who is blessed with the Mercy of my Beloved, focuses his consciousness on the Lord’s Feet. ||1||


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ਪਦਅਰਥ:

ਮੈ ਮਨਿ = ਮੇਰੇ ਮਨ ਵਿਚ। ਹਰੇ = ਹੇ ਹਰੀ! ਪਾਵਾ = ਪਾਵਾਂ, ਮੈਂ ਪਾ ਲਵਾਂ। ਜਾਇ = ਜਾ ਕੇ। ਪੁਛਾ = ਪੁਛਾਂ, ਮੈਂ ਪੁੱਛਦੀ ਹਾਂ। ਸਤਗੁਰੈ = ਗੁਰੂ ਨੂੰ। ਪੁਛਿ = ਪੁੱਛ ਕੇ। ਮੁਗਧੁ = ਮੂਰਖ। ਸਮਝਾਵਾ = ਸਮਝਾਵਾਂ, ਮੈਂ ਸਮਝਾਂਦੀ ਹਾਂ।

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ਅਰਥ:
ਰਾਗ ਵਡਹੰਸ, ਘਰ ੨ ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਬਾਣੀ। ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਇੱਕ ਹੈ ਅਤੇ ਸਤਿਗੁਰੂ ਦੀ ਕਿਰਪਾ ਨਾਲ ਮਿਲਦਾ ਹੈ।
 ਹੇ ਹਰੀ! ਮੇਰੇ ਮਨ ਵਿਚ ਬੜੀ ਤਾਂਘ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਨ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ, ਤੇਰਾ ਦਰਸਨ ਕਰ ਸਕਾਂ। 

ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਗੁਰੂ ਪਾਸ ਜਾ ਕੇ ਗੁਰੂ ਪਾਸੋਂ ਪੁੱਛਦੀ ਹਾਂ ਤੇ ਗੁਰੂ ਨੂੰ ਪੁੱਛ ਕੇ ਆਪਣੇ ਮੂਰਖ ਮਨ ਨੂੰ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇਂਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹਾਂ। ਕੁਰਾਹੇ ਪਿਆ ਹੋਇਆ ਮਨ ਗੁਰੂ ਦੇ ਸ਼ਬਦ ਵਿਚ ਜੁੜ ਕੇ ਹੀ ਅਕਲ ਸਿੱਖਦਾ ਹੈ ਤੇ ਫਿਰ ਉਹ ਸਦਾ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਨਾਮ ਯਾਦ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

 ਹੇ ਨਾਨਕ! ਜਿਸ ਮਨੁੱਖ ਉਤੇ ਮੇਰਾ ਪਿਆਰਾ ਪ੍ਰਭੂ ਮੇਹਰ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਉਹ ਪ੍ਰਭੂ ਦੇ ਚਰਨਾਂ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਚਿੱਤ ਜੋੜੀ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ॥੧॥

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अर्थ:
राग वडहंस, घर २ में गुरु रामदास जी की बानी॥ अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। 

हे हरी! मेरे मन में बड़ी तीव्र इच्छा है की मैं किसी तरह, तेरा दर्शन कर सकूँ। मैं अपने गुरु के पास जा के गुरु से पूछती हूँ और गुरु से पूछ के अपने मुर्ख मन को शिक्षा देती रहती हूँ। 

कुराहे पड़ा हुआ मेरा मन गुरु के शब्द में जुड़ कर ही अकल सीखता है और फिर वह सदा परमात्मा का नाम याद करता रहता है।

 हे नानक! जिस मनुख ऊपर मेरा प्यारा प्रभु कृपा की नज़र करता है, वह प्रभु के चरणों में अपना मन जोड़ी रखता है ॥१॥

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==अपनी सेवा आप कराई ==

सन्त बाबा सीतलसिंह जी महू वालों एवं महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी की कृपा सदके आपनी सेवा आप कराई 🙏


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ढेरा संत बाबा हिम्मत सिंह साहिब जी के वर्तमान 

गद्दीनशीन महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह साहिब जी  

की

ओर से आप  सभी साध संगत जी को

वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतह  प्रवान हो 🙏

सम्पर्क: 

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