HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.

 HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR 




अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.

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श्री हरमिन्दर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) अमृतसर में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी  के अंग 489 दिनांक 23-08-2024  को  प्रात: जारी गुरुबाणी, अमृतवचन/हुकमनामा : पंजाबी, हिन्दी व अंग्रेजी में अर्थ सहित पढ़िए....

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Amrit Vele da Hukamnama Sri Darbar Sahib, Amritsar


Ang 489, Date 23-08-2024

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ਗੂਜਰੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥ ਨਾਭਿ ਕਮਲ ਤੇ ਬ੍ਰਹਮਾ ਉਪਜੇ ਬੇਦ ਪੜਹਿ ਮੁਖਿ ਕੰਠਿ ਸਵਾਰਿ ॥ ਤਾ ਕੋ ਅੰਤੁ ਨ ਜਾਈ ਲਖਣਾ ਆਵਤ ਜਾਤ ਰਹੈ ਗੁਬਾਰਿ ॥੧॥ ਪ੍ਰੀਤਮ ਕਿਉ ਬਿਸਰਹਿ ਮੇਰੇ ਪ੍ਰਾਣ ਅਧਾਰ ॥ ਜਾ ਕੀ ਭਗਤਿ ਕਰਹਿ ਜਨ ਪੂਰੇ ਮੁਨਿ ਜਨ ਸੇਵਹਿ ਗੁਰ ਵੀਚਾਰਿ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ ਰਵਿ ਸਸਿ ਦੀਪਕ ਜਾ ਕੇ ਤ੍ਰਿਭਵਣਿ ਏਕਾ ਜੋਤਿ ਮੁਰਾਰਿ ॥ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹੋਇ ਸੁ ਅਹਿਨਿਸਿ ਨਿਰਮਲੁ ਮਨਮੁਖਿ ਰੈਣਿ ਅੰਧਾਰਿ ॥੨॥

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गूजरी महला १ ॥ नाभि कमल ते ब्रहमा उपजे बेद पड़हि मुखि कंठि सवारि ॥ ता को अंतु न जाई लखणा आवत जात रहै गुबारि ॥१॥ प्रीतम किउ बिसरहि मेरे प्राण अधार ॥ जा की भगति करहि जन पूरे मुनि जन सेवहि गुर वीचारि ॥१॥ रहाउ ॥ रवि ससि दीपक जा के त्रिभवणि एका जोति मुरारि ॥ गुरमुखि होइ सु अहिनिसि निरमलु मनमुखि रैणि अंधारि ॥२॥


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Meaning:
Goojaree, First Mehl: From the lotus of Vishnu’s navel, Brahma was born; He chanted the Vedas with a melodious voice. He could not find the Lord’s limits, and he remained in the darkness of coming and going. ||1|| 

Why should I forget my Beloved? He is the support of my very breath of life. The perfect beings perform devotional worship to Him. The silent sages serve Him through the Guru’s Teachings. ||1||Pause||

 His lamps are the sun and the moon; the One Light of the Destroyer of ego fills the three worlds. One who becomes Gurmukh remains immaculately pure, day and night, while the self-willed manmukh is enveloped by the darkness of night. ||2||

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ਅਰਥ
ਵਿਆਖਿਆਃ (ਪੁਰਾਣਾਂ ਵਿਚ ਕਥਾ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਜਿਸ ਬ੍ਰਹਮਾ ਦੇ ਰਚੇ ਹੋਏ) ਵੇਦ (ਪੰਡਿਤ ਲੋਕ) ਮੂੰਹੋਂ ਗਲੇ ਨਾਲ ਮਿੱਠੀ ਸੁਰ ਵਿਚ ਨਿੱਤ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਬ੍ਰਹਮਾ ਵਿਸ਼ਨੂੰ ਦੀ ਧੁੰਨੀ ਵਿਚੋਂ ਉੱਗੇ ਹੋਏ ਕੌਲ ਦੀ ਨਾਲ ਤੋਂ ਜੰਮਿਆ, (ਤੇ ਆਪਣੇ ਜਨਮ-ਦਾਤੇ ਦੀ ਕੁਦਰਤਿ ਦਾ ਅੰਤ ਲੱਭਣ ਲਈ ਉਸ ਨਾਲ ਵਿਚ ਚੱਲ ਪਿਆ, ਕਈ ਜੁਗ ਉਸ ਨਾਲ ਦੇ) ਹਨੇਰੇ ਵਿਚ ਹੀ ਆਉਂਦਾ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ, ਪਰ ਉਸ ਦਾ ਅੰਤ ਨਾਹ ਲੱਭ ਸਕਿਆ ॥੧॥ 

ਹੇ ਮੇਰੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੇ ਆਸਰੇ ਪ੍ਰੀਤਮ! ਮੈਨੂੰ ਨਾਹ ਭੁੱਲ। ਤੂੰ ਉਹ ਹੈਂ ਜਿਸ ਦੀ ਭਗਤੀ ਪੂਰਨ ਪੁਰਖ ਸਦਾ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਰਿਸ਼ੀ ਮੁਨੀ ਗੁਰੂ ਦੀ ਦੱਸੀ ਸੂਝ ਦੇ ਆਸਰੇ ਸਦਾ ਸਿਮਰਦੇ ਹਨ ॥੧॥ ਰਹਾਉ॥ ਉਹ ਪ੍ਰਭੂ ਇਤਨਾ ਵੱਡਾ ਹੈ ਕਿ ਸੂਰਜ ਤੇ ਚੰਦ੍ਰਮਾ ਉਸ ਦੇ ਤ੍ਰਿਭਵਣੀ ਜਗਤ ਵਿਚ (ਮਾਨੋ ਨਿਕੇ ਜਿਹੇ) ਦੀਵੇ (ਹੀ) ਹਨ, ਸਾਰੇ ਜਗਤ ਵਿਚ ਉਸੇ ਦੀ ਜੋਤਿ ਵਿਆਪਕ ਹੈ। ਜੇਹੜਾ ਮਨੁੱਖ ਗੁਰੂ ਦੇ ਦੱਸੇ ਰਾਹ ਤੇ ਤੁਰ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਦਿਨ ਰਾਤ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਉਹ ਪਵਿਤ੍ਰ ਜੀਵਨ ਵਾਲਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਆਪਣੇ ਮਨ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਤੁਰਦਾ ਹੈ ਉਸ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਰਾਤ (ਅਗਿਆਨਤਾ ਦੇ) ਹਨੇਰੇ ਵਿਚ ਬੀਤਦੀ ਹੈ ॥੨॥

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अर्थ :
(पुरान ग्रंथों में कथा आती है की जिस ब्रह्मा के रचे हुए) वेद (पंडित लोग) मुख से गले से मीठे स्वर में प्रतिदिन पड़ते हैं, वह ब्रह्मा विष्णु की धुन्नी में से उगे हुए कमल की नाल से पैदा हुआ, (और अपने जन्म-दाते की कुदरत का अंत पाने के लिए उसी में चल पड़ा, कई युग उस नाल के) अँधेरे में आता जाता रहा, परन्तु उस का अंत न पा सका॥१॥

 हे मेरी जिन्दगी के सहारे प्रीतम! मुझे न भूल। तूं वो है जिस की भक्ति पूरण पुरख सदा करते रहते हैं, जिस को ऋषि मुनि गुरु की बताई सूझ के सहारे सदा सिमरते है॥१॥रहाउ॥ वह प्रभु इतना बड़ा है की सूरज और चंद्रमा उस के त्रिभ्वनी जगत में (मानो नन्हे से) दीपक (ही) हैं, सारे जगत में उस की जोत व्यपाक है। जो मनुख गुरु के बताये हुए राह पर चल के उस को दिन रात मिलता है वह पवित्र जीवन वाला हो जाता है। जो मनुख अपने मन के पीछे चलता है उस की जिन्दगी की रात (अज्ञानता के) अन्धकार में बीतती है॥२॥

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