HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.


HUKAMNAMA SACHKHAND SHRI DARBAR SAHIB AMRITSAR





 अपनी प्रात: का शुभारंभ प्रभु परमात्मा, श्री हरि स्मरण से करिये.

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श्री हरमिन्दर साहिब (स्वर्ण मन्दिर) अमृतसर में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी  के अंग 648 दिनांक 20-08-2024  को  प्रात: जारी गुरुबाणी, अमृतवचन/हुकमनामा : पंजाबी, हिन्दी व अंग्रेजी में अर्थ सहित पढ़िए....



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Amrit wele da Hukamnama Sri Darbar Sahib, Sri Amritsar, Ang 648, Date 20-08-24



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ਸਲੋਕੁ ਮ: ੩ ॥ ਨਾਨਕ ਨਾਵਹੁ ਘੁਥਿਆ ਹਲਤੁ ਪਲਤੁ ਸਭੁ ਜਾਇ ॥ ਜਪੁ ਤਪੁ ਸੰਜਮੁ ਸਭੁ ਹਿਰਿ ਲਇਆ ਮੁਠੀ ਦੂਜੈ ਭਾਇ ॥ ਜਮ ਦਰਿ ਬਧੇ ਮਾਰੀਅਹਿ ਬਹੁਤੀ ਮਿਲੈ ਸਜਾਇ ॥੧॥ ਮ: ੩ ॥ ਸੰਤਾ ਨਾਲਿ ਵੈਰੁ ਕਮਾਵਦੇ ਦੁਸਟਾ ਨਾਲਿ ਮੋਹੁ ਪਿਆਰੁ ॥ ਅਗੈ ਪਿਛੈ ਸੁਖੁ ਨਹੀ ਮਰਿ ਜੰਮਹਿ ਵਾਰੋ ਵਾਰ ॥ ਤ੍ਰਿਸਨਾ ਕਦੇ ਨ ਬੁਝਈ ਦੁਬਿਧਾ ਹੋਇ ਖੁਆਰੁ ॥ ਮੁਹ ਕਾਲੇ ਤਿਨਾ ਨਿੰਦਕਾ ਤਿਤੁ ਸਚੈ ਦਰਬਾਰਿ ॥ ਨਾਨਕ ਨਾਮ ਵਿਹੂਣਿਆ ਨਾ ਉਰਵਾਰਿ ਨ ਪਾਰਿ ॥੨॥


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सलोकु मः ३ ॥ नानक नावहु घुथिआ हलतु पलतु सभु जाइ ॥ जपु तपु संजमु सभु हिरि लइआ मुठी दूजै भाइ ॥ जम दरि बधे मारीअहि बहुती मिलै सजाइ ॥१॥ मः ३ ॥ संता नालि वैरु कमावदे दुसटा नालि मोहु पिआरु ॥ अगै पिछै सुखु नही मरि जमहि वारो वार ॥ त्रिसना कदे न बुझई दुबिधा होइ खुआरु ॥ मुह काले तिना निंदका तितु सचै दरबारि ॥ नानक नाम विहूणिआ ना उरवारि न पारि ॥२॥


Meaning:

Shalok, Third Mehl: O Nanak, forsaking the Name, he loses everything, in this world and the next. Chanting, deep meditation and austere self-disciplined practices are all wasted; he is deceived by the love of duality. He is bound and gagged at the door of the Messenger of Death. He is beaten, and receives terrible punishment. ||1||

 Third Mehl: They inflict their hatred upon the Saints, and they love the wicked sinners. They find no peace in either this world or the next; they are born only to die, again and again. Their hunger is never satisfied, and they are ruined by duality. The faces of these slanderers are blackened in the Court of the True Lord. O Nanak, without the Naam, they find no shelter on either this shore, or the one beyond. ||2||

ਅਰਥ
ਹੇ ਨਾਨਕ! ਨਾਮ ਤੋਂ ਖੁੰਝਿਆਂ ਦਾ ਲੋਕ ਪਰਲੋਕ ਸਭ ਵਿਅਰਥ ਜਾਂਦਾ ਹੈ; ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਜਪ ਤਪ ਤੇ ਸੰਜਮ ਸਭ ਖੁੱਸ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤੇ ਮਾਇਆ ਦੇ ਮੋਹ ਵਿਚ (ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਮਤਿ) ਠੱਗੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ; ਜਮ ਦੁਆਰ ਤੇ ਬੱਧੇ ਮਾਰੀਦੇ ਹਨ ਤੇ ਬੜੀ ਸਜ਼ਾ (ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ) ਮਿਲਦੀ ਹੈ।੧। 

ਨਿੰਦਕ ਮਨੁੱਖ ਸੰਤ ਜਨਾਂ ਨਾਲ ਵੈਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਦੁਰਜਨਾਂ ਨਾਲ ਮੋਹ ਪਿਆਰ ਰੱਖਦੇ ਹਨ; ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਲੋਕ ਪਰਲੋਕ ਵਿੱਚ ਕਿਤੇ ਸੁਖ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ, ਘੜੀ ਮੁੜੀ ਦੁਬਿਧਾ ਵਿਚ ਖ਼ੁਆਰ ਹੋ ਹੋ ਕੇ, ਜੰਮਦੇ ਮਰਦੇ ਹਨ; ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਤ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਕਦੇ ਨਹੀਂ ਲਹਿੰਦੀ; ਹਰੀ ਦੇ ਸੱਚੇ ਦਰਬਾਰ ਵਿਚ ਉਹਨਾਂ ਨਿੰਦਕਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਕਾਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਹੇ ਨਾਨਕ! ਨਾਮ ਤੋਂ ਸੱਖਣਿਆਂ ਨੂੰ ਨਾਹ ਇਸ ਲੋਕ ਵਿਚ ਤੇ ਨਾਹ ਪਰਲੋਕ ਵਿਚ (ਢੋਈ ਮਿਲਦੀ ਹੈ)।੨।


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अर्थ:
हे नानक! नाम से दूर हो चुके मनुख का लोक परलोक सब व्यर्थ जाता है, उनका जप ताप संजम सब नास हो जाता है, और माया के मोह में (उनकी मति) ठगी जाती है, जम द्वार पर बांध मारते हैं और (उनको)बहुत सजा मिलती है।१।

 निंदक मनुख संत जानो से वैर करते हैं और दुर्जनों से मोह प्रेम रखते हैं; उनको लोक परलोक में कहीं भी सुख नहीं मिलता, बार बार दुबिधा में खुआर (परेशान) हो हो करके, जन्म लेते हैं और मरते हैं; उनकी तृष्णा कभी कम नहीं होती; हरी के सच्चे दरबार में उन निंदा करने वालो के मुँह काले होते हैं। हे नानक! नाम से दूर रहने वालो को न ही इस लोक में और न ही परलोक में (सहारा) मिलता हैं।२।

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सन्त बाबा सीतलसिंह जी महू वालों एवं महन्त सन्त बाबा सुखदेव सिंह जी की कृपा सदके आपनी सेवा आप कराई 🙏


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