देवनानी की जीत से : अजमेर उतर अघोषित सिन्धी आरक्षित सीट पर बरबरार हुई सिन्धी समाज की दावेदारी :

 देवनानी की जीत से : अजमेर उतर अघोषित सिन्धी आरक्षित सीट पर बरकरार हुई सिन्धी समाज की दावेदारी

जी. एस. लबाना  


            अजमेर। अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी वासुदेव देवनानी की लगातार पांचवीं जीत के साथ ही राजस्थान की दो सौ सीटों में से सिंधी समुदाय के लिए अघोषित एकमात्र आरक्षित इस सीट पर सिंधी समुदाय का दावा बरकरार हो गया है और कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्रसिंह रलावता की एक और हार के चलते पार्टी से टिकट मांगने का नैतिक अधिकार भी समाप्त हो गया! 

     तमाम एक्सिट पोल और चुनाव पंडितों के दावों को झुठलाते हुए भाजपा ने न सिर्फ राजस्थान में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है बल्कि अजमेर जिले में शामिल पूर्व आठ में से सात सीटों पर भी काबिज हो गई है। गौरतलब है कि किशनगढ़ में जीते कांग्रेस प्रत्याशी विकास चौधरी भी चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए थे।

       भाजपा प्रत्याशी वासुदेव देवनानी को उनकी जीत के लिए बधाई! वासुदेव देवनानी एक तरफ सिंधी वोटों का बिखराव रोकने  में  कामयाब रहे वहीँ संगठन ने परंपरागत वोटों का रिसाव रोक लिया। 

       अगर निर्दलीय उम्मीदवार ज्ञान सारस्वत मैदान में नहीं होते तो देवनानी की जीत का अंतर और भी बड़ा हो सकता था। चुनाव से पहले  देवनानी के खिलाफ असंतोष की  चर्चाएं थीं। अगर ज्ञान सारस्वत को मिले वोटों की संख्या पर गौर किया जाए तो यह माना जा सकता है कि अगर संगठन की मेहनत नहीं होती तो नतीजे दुखदायी भी हो सकते थे।

      लगातार पांचवीं बार विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने जा रहे देवनानी को उनके चुनावी वादों को याद दिलाने की जरूरत नहीं है लेकिन इस जीत ने उन पर अपेक्षाओं का बोझ बढ़ा दिया है । खास तौर पर इसलिए भी कि वे अब सत्ता पक्ष में बैठेंगे और उनके अनुभव को देखते हुए कैबिनेट में शामिल किए जाने की पूरी संभावना  है! 

         जहां तक मेरा अनुभव है और यह अनुभव मेरा व्यक्तिगत सिंधी समाज के सम्बन्ध से है, यह सम्बंध दैनिक सिन्धी भाषी समाचार पत्र राज्यादेश के नाते हैं और व्यक्तिगत सिन्धी  समाज से  जुडे होने से है। उन्ही अनुभव के चलते यह कह सकता हूं कि देवनानी को जिताने में सिन्धी समाज ने एकता दिखाई है और यहां तक कि कांग्रेसी सिन्धी मतदाताओं ने भी देवनानी को  सहयोग किया है वह सिर्फ कांग्रेस में भी अपनी दावेदारी को बरकरार रखने के लिये। 

    साल 2003 से पहले इस सीट को अजमेर पश्चिम (Ajmer West) के नाम से जाना जाता था। ये सीट उस सादगी की गवाह भी बन चुकी है, जब एक चप्पल की दुकान चलाने वाला दरगाह बाजार-मोतीकटला पर चप्पल की दुकान चलाने वाले नानकराम जगतराय यहां से विधायक बन कर सदन में पहुंचा था। 

       1998 में राजस्थान में कांग्रेस की लहर थी। इसी लहर में किशन मोटवानी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया। तब 62510 में से को 34802 वोटों के साथ जीत हासिल हुई। जबकि उनके सामने हरीश झामनानी को 23460 वोट मिले। 


        लेकिन वर्तमान में यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस इस सीट पर गैर सिन्धी उम्मीदवार को उतार कर अपनी जीत  दर्ज  नहीं करा पाई है ।

               वासुदेव देवनानी  से भले ही सिन्धी समाज के  कुछ लोग नाराज थे, लेकिन अब सिन्धी समाज  देवनानी को सिन्धी समाज का राजनैतिक सम्राट,  सिन्धी समाज का  सिरमौर मानने लगेगे, इसमें कोई शक नहीं है । 

जी. एस. लबाना                                      सम्पादक                                                  दैनिक राज्यादेश  (सिन्धी)                          दैनिक मरु प्रहार 


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टिप्पणियाँ

Teerth Gorani ने कहा…
देवनानी की जीत के दो आधार, संगठन और सिंधी एकजुटता!

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