बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम भारत के चारों पवित्र धामों की जानकारी!
बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम भारत के चारों पवित्र धामों की जानकारी!
भारतीय धर्मग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भारत में बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम को चार धाम की संज्ञा दी गयी गई है, जिसे आदिगुरु शंकराचार्य जी ने एक सूत्र में पिरोया था !
मान्यता है कि चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम) की यात्रा करने से किसी भी व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है !
(1) बद्रीनाथ धाम : -
श्री बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में नर और नारायण पर्वतों के मध्य स्थित है, जो की समुद्र तल से 10,276 फीट की ऊंचाई पर है।
यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप को समर्पित है तथा इसे हिमालय के चारधामों का आखिरी पड़ाव माना जाता है वहीँ भारत के चार धामों में इसका पहला स्थान है !
अलकनंदा नदी इस मंदिर की खूबसुरती में चार चांद लगाती है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु इस स्थान पर हमेशा ध्यनमग्न रहते हैं। इस मंदिर का निर्माण आज से ठीक दो शताब्दी पहले गढ़वाल के राजा के द्वारा किया गया था।
यह मंदिर शंकुधारी शैली में बना हुआ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 15 मीटर है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान् विष्णु के साथ नर और नारायण ध्यान की स्थिति में विराजमान हैं। ऋषिकेश से यह 294 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है।
श्री बद्रीनाथ की यात्रा करने के लिए मई और जून का समय अत्यधिक उपयुक्त मन जाता है! यदि आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो बद्रीनाथ के सबसे समीपस्थ रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो यहां से मात्र 294 किमी. दूर स्थित है तथा यह भारत के प्रमुख शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली और लखनऊ आदि से सीधे तौर पर रेलवे से जुड़ा है।
वायु मार्ग से आने के लिए बद्रीनाथ के सबसे नजदीक स्थित एयरपोर्ट, जोली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है, जो यहां से मात्र 314 किमी. की दूरी पर स्थित है तथा बद्रीनाथ से सबसे समीप स्थित अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, दिल्ली है।
सड़क मार्ग से प्राइवेट टैक्सी और अन्य साधनों को किराए पर लेकर ऋषिकेश तथा देहरादून से से बद्रीनाथ आसानी से पहुंचा जा सकता है।
(2) द्वारकापुरी धाम : -
द्वारका गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले में स्थित प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है, जिसे चार धामों में दूसरा स्थान प्राप्त है।
यह हिन्दुओं के सात पुरियों में एक है इसलिए इस जिले का नाम द्वारकापुरी रखा गया है।
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका का प्रमुख मंदिर है जिसे जगत मंदिर या ब्रह्मांड मंदिर भी कहा जाता है। द्वारकाधीश मंदिर का मुख्य मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण भगवान कृष्ण के पड़ पोते वज्रनाभ ने किया था।
शास्त्रों की मान्यतानुसार द्वारका नगरी को भगवान श्रीकृष्ण ने बसाया था और महाभारत के युद्ध के बाद ये नगरी पूरी तरह समुद्र में विलीन हो गयी थी, उसके बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया था।
वैसे तो आप बारहों महीने में कभी भी यहाँ आ सकते है, लेकिन सितम्बर से नवंबर तक का समय यहाँ आने के लिए सर्वथा उपयुक्त है !
द्वारकाधीश मंदिर आम जनता के लिए प्रातः 7 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है, तथा यह दोपहर 12:30 से शाम 5 बजे तक बंद रहता है।
द्वारका अहमदाबाद से लगभग 380 मिलोमीटर दूर है तथा यहाँ रेल, बस और हवाईमार्ग के माध्यम से देश के किसी भी कोने से आसानी से पंहुचा जा सकता है।
(3) जगन्नाथ पुरी धाम : -
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, तथा इसे चार धामों में तीसरा स्थान प्राप्त है। यह भारतवर्ष के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है : ‘जगत के स्वामी’, और इनकी नगरी ही पुरी या जगन्नाथपुरी कहलाती है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।
आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी नगर में होने वाली भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के सबसे विशाल और महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सवों में से एक है, जिसमें भाग लेने के लिए पूरी दुनिया से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
वैसे तो आप बारहों महीने में कभी भी यहाँ आ सकते है, लेकिन जून से मार्च तक का समय यहाँ आने के लिए सर्वथा उपयुक्त है !
यहाँ रेल, बस और हवाईमार्ग के माध्यम से देश के किसी भी कोने से आसानी से पंहुचा जा सकता है। यह मन्दिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 50 किलोमीटर तथा जगन्नाथ पुरी से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
(4) रामेश्वरम धाम : -
रामेश्वरम भारतवर्ष के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इस तीर्थ को हिन्दुओं के चार धामों में चौथा और आखिरी धाम कहा जाता है।
यहां स्थापित शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसकी स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। यह तीर्थ हिन्दुओं के चार धामों में अत्यंत प्रसिद्द एवं महत्वपूर्ण है। भारत के उत्तर मे जो मान्यता काशी(वाराणसी) की है, वही दक्षिण में रामेश्वरम् की है।
रामेश्वरम में गर्मी बहुत ज्यादा पड़ती है तथा यहाँ सर्दियों का मौसम बहुत सुहाना होता है अतः यहाँ आने के लिए सर्दियों का मौसम सर्वथा उपयुक्त है !
रामेश्वरम से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट, मदुरई में स्थित है तथा यह देश के कई हिस्सों से रेलमार्ग से सीधे जुड़ा है ! देश के प्रसिद्ध महानगर दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता आदि से रामेश्वरम जाने के लिए चेन्नई (मद्रास) जाना पड़ता है तथा चेन्नई से दक्षिण रेलवे मार्ग से
त्रिचिनापल्ली होते हुए रामेश्वरम पहुँचा जा सकता है।
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गोपाल सिंह लबाना सम्पादक